Bawarchi ki kahani Hindi mein

शुरुआत में अमिताभ बच्चन जी की आवाज में क्रेडिट्स चलते हैं, और फिर वो हमें एक परिवार से मिलवाते हैं।
देखो, ये शर्मा परिवार है जो “शांति निवास” में रहता है। पर नाम के बिल्कुल उलट, इस घर में शांति नाम की कोई चीज नहीं है। हर वक्त कोई न कोई झगड़ा चलता रहता है। इतना झगड़ा कि कोई नौकर टिकता ही नहीं है घर में!
घर के मुखिया हैं दादूजी, यानी शिवनाथ शर्मा। बुजुर्ग हैं, पर बड़े चिड़चिड़े स्वभाव के। हर चीज में कमी निकालते रहते हैं – बेटों में, बहुओं में, यहां तक कि सुबह की चाय में भी! पर एक अच्छी बात है उनमें – वो कृष्णा का बहुत ख्याल रखते हैं। कृष्णा उनके दूसरे बेटे की बेटी है, जो एक दुर्घटना में अपने माता-पिता को खो चुकी है। बेचारी कृष्णा, सबकी सेवा करती है, सबकी डांट खाती है, फिर भी मुस्कुराती रहती है।
अब तुम्हें परिवार के बाकी लोगों से मिलवाता हूं। पहले बेटे हैं रामनाथ – एक परेशान से क्लर्क, जो अपनी परेशानियों को भुलाने के लिए शराब पीते हैं। उनकी पत्नी सीता को गठिया है (या वो ऐसा कहती हैं), और बेटी मीता बस डांस क्लास और पार्टियों के लिए जीती है। फिर हैं तीसरे बेटे काशीनाथ – एक अकड़ू स्कूल टीचर, जो अपनी पत्नी शोभा और बेटे पिंटू के साथ रहते हैं। और सबसे छोटा बेटा है विश्वनाथ – एक म्यूजिक डायरेक्टर, जो अंग्रेजी गानों को चुराकर हिंदी में बना देता है।
अब कहानी में ट्विस्ट आता है। एक दिन अचानक एक आदमी घर के दरवाजे पर खड़ा मिलता है – रघु। कहता है कि वो रसोइया बनना चाहता है। और क्या रसोइया निकला यार! कम पैसों में काम करने को तैयार, खाना इतना बढ़िया बनाता है कि क्या बताऊं, और इतना ज्ञानी है कि हर चीज के बारे में बात कर सकता है। धीरे-धीरे पूरे परिवार को अपना बना लेता है।
फिर क्या होता है – एक दिन रघु गायब हो जाता है, और उसके साथ गायब हो जाता है जेवरों का बक्सा भी! सब सोचते हैं कि रघु चोर निकला। पर असली कहानी कुछ और ही निकलती है। पता चलता है कि रघु असल में प्रोफेसर प्रभाकर है, जो टूटते परिवारों को जोड़ने का काम करता है। उसने जान-बूझकर ये सब किया ताकि कृष्णा और अरुण की शादी हो सके और परिवार में प्यार वापस आ सके।
और यार, फिल्म का एंड भी कमाल का है। रघु चला जाता है, क्योंकि उसे दूसरे टूटते परिवारों को भी तो जोड़ना है। अमिताभ बच्चन की आवाज में फिल्म खत्म होती है – “रघु एक नए घर जा रहा है, भगवान करे वो आपका घर न हो!”
कैसी लगी कहानी? मजेदार है ना? इस फिल्म में राजेश खन्ना और जया भादुड़ी ने कमाल का काम किया है|
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मुख्य कलाकार
- राजेश खन्ना – रघु (बावर्ची)
- जया भादुरी – कृष्णा शर्मा
- उषा किरण – शोभा शर्मा (छोटी माँ)
- हरींद्रनाथ चट्टोपाध्याय – शिवनाथ शर्मा (दादुजी)
- ए के हंगल – रामनाथ शर्मा (मुन्ना)
- दुर्गा खोटे – सीता शर्मा (बड़ी माँ)
- असरानी – विश्वनाथ शर्मा (बब्बू)
- काली बेनर्जी – काशीनाथ शर्मा
- पेंटल – नृत्य शिक्षक (गुरूजी)
- मास्टर राजू – पिंटू बाबा